अधिक मास में खरीदारी के लिए 25 दिन शुभ
शास्त्रों में भी कहा ‘अधिकस्य अधिक फलम् ज्वेलरी वाहन और कपड़े खरीदे जा सकते हैं
अधिक मास शुरू हो गया है। अधिक मास (पुरुषोत्तम मास) के बारे में शास्त्रों ने कहा है “अधिकस्य अधिक फलम्” अर्थात अधिक मास में शुभ कर्मों का फल भी अधिक मिलता है। मांगलिक (विवाह गृह प्रवेश आदि) कार्यों के अलावा किसी भी अन्य कार्य के लिए अधिक मास में मनाही नहीं है। पूरे महीने में 25 दिन खरीदारी के लिए शुभ हैं। इनमें से 15 दिन तो काफी महत्वपूर्ण हैं। अधिक मास में संपत्ति में भी निवेश किया जा सकता है।
ज्योतिषाचार्य अक्षय षास़्त्री के मुताबिक 21 30 सितंबर 1 5 और 19 अक्टूबर को छोड़ कर शेष सारे दिन शुभ ही रहेंगे। इन दिनों में भगवान की भक्ति और धार्मिक अनुष्ठान का पूर्ण फल तो मिलेगा ही साथ ही खरीदारी आदि के लिए भी दिन बहुत शुभ रहेंगे। अधिक मास में सबकुछ खरीदा जा सकता है। ज्वेलरी वाहन से लेकर कपड़े आदि सभी खरीदे जा सकते हैं।
मुहूर्त के अनुसार… अक्टूबर तक सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग
सर्वार्थसिद्धि योग – ये हर काम में सफलता देने वाला होता है। 26 सितंबर एवं 1 4 6 7 9 11 17 अक्टूबर 2020 को ये योग रहेगा।
द्विपुष्कर योग – इसमें किए गए किसी भी काम का दोगुना फल मिलता है। 19 एवं 27 सितंबर को द्वि पुष्कर योग रहेगा।
अमृतसिद्धि योग – इसमें किए गए कामों का शुभ फल दीर्घकालीन होता है। 2 अक्टूबर 2020 को अमृत सिद्धि योग रहेगा।
पुष्य नक्षत्र – अधिक मास में दो दिन पुष्य नक्षत्र भी है। 10 अक्टूबर को रवि पुष्य और 11 अक्टूबर को सोम पुष्य नक्षत्र रहेगा। यह ऐसी तारीखें होंगी जब कोई भी आवश्यक शुभ काम किया जा सकता है।
वाहन खरीदारी के मुहूर्त: सितंबर में 27 28 29 तारीख अक्टूबर में 04 10 और 11 तारीख को वाहन खरीदे जा सकते हैं या बुकिंग कराई जा सकती है।
ज्वेलरी की खरीदारी के मुहूर्त: सितंबर में 22 और 26 तारीख अक्टूबर में 2 3 7 8 और 15 को ज्वेलरी खरीदी जा सकती है।
कपड़े आदि खरीदने के मुहूर्त: सितंबर में 22 और 26 तारीख, अक्टूबर में 2 7 8 और 15 तारीख को वस्त्र सामग्री आदि खरीदे जा सकते हैं।
सगाई आदि के शुभ मुहूर्त: सितंबर में 26 तारीख और अक्टूबर में 7 15 तारीख को रोका सगाई आदि किए जा सकते हैं।
(पुरुषोत्तम मास भले ही कई फल देने वाला हो, लेकिन इस माह में दौरान हिंदू धर्म के विशिष्ट व्यक्तिगत संस्कार जैसे नाम करण यज्ञोपवीत विवाह और सामान्य धार्मिक संस्कार जैसे गृह प्रवेश नहीं किया जाता है।