सूर्य “स्पष्टीकरण” सरल विधि

26 मार्च 2020 को प्रातः 6:27 के अनुसार समय अंतराल को 6:45 मान कर भारतीय स्टैंडर्ड समय के सूर्य स्पष्ट साधन की प्रक्रिया यह प्रक्रिया मराठी ग्रह गणित वाला नामक पुस्तक के सूत्रों से प्रतिपादित की गई है जैसा कि हमने पिछले उदाहरण में देखा कि हमने अहर्गण 3277 तथा चक्र संख्या 7 प्राप्त की।
अब यहां से सूर्य स्पष्ट की गणित आरंभ की जा रही है।
कृपया सभी ध्यान दें सूर्य क्षेपक जो अंशात्मक है, वे हमेशा समान रहते हैं जो 349.0870 है, इन्हें हम मध्यम सूर्य क्षेपक भी कहते हैं इन्हें एक स्थान पर लिख लिया जाए।
अब हम सूर्य स्पष्ट की प्रक्रिया आरंभ करते हैं सबसे पहले सूर्य स्पष्ट उज्जैन रेखा के अनुसार 6:27 का स्पष्ट किया जाता है किंतु 6:27 हमेशा फिक्स नहीं रहता है प्रतिदिन उसने कुछ सेकंड का अंतर आता है इस हिसाब से 26 मार्च तक 1 जनवरी से लगाकर यह अंतर 18 मिनट का आ जाता है तथा इस अंतराल को प्राप्त करने पर ही शुद्ध सूर्य स्पष्ट प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि 6:27 मिनट हमारा उज्जैन रेखा का समय है और उसमें 18 मिनट जोड़ने पर समय 6:45 प्राप्त होता है इसलिए हमारा सूर्य स्पष्ट जो हमें प्राप्त होगा वह 6:45 का होगा ना कि 6:27 का अब प्राप्त अंतराल अर्थात 18 मिनट को घंटे में बदलने के लिए 60 का भाग लगाने पर हमारे पास हमारे पास जो उत्तर प्राप्त होता है वह 0.3 घंटा प्राप्त होता है, 0.3 घंटे को दिन बनाने के लिए हम इसमें पुनः 24 का भाग लगाएंगे, जिससे प्राप्त दिन का मान 0.0125 प्राप्त होता है इस दिन के मान को अहर्गण 3277 में जोड़ दिया जाता है जिससे हमें हम जिस समय का सूर्य स्पष्ट ज्ञात कर रहे हैं उस समय का शुद्ध अहर्गण ज्ञात हो जाता है तो हमारा यहां शुद्ध अहर्गण जो प्राप्त हुआ वह 3277.0125 प्राप्त हुआ ।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि अहर्गण की गति 0.9856091 मानी गई है इस अहर्गण गति को प्राप्त करने के लिए 3277.0 125 से गुणा करने पर जो मान प्राप्त होता है उसे लिख लिया जाए यहां जो मान हमें प्राप्त हुआ है वह 3229.8 53341 प्राप्त हुआ इस प्रकार यह कुल अहर्गण की गति हमें प्राप्त हुई ।
अब हम चक्र गति ज्ञात करेंगे ध्यान रहे चक्र गति 0.1273 मानी गई है इसे प्राप्त चक्र संख्या 7 से गुणा करने पर हमें कुल चक्रगति 0.8911 प्राप्त होती है
अब मध्यम सूर्य क्षेपक 349.0870+ कुल चक्रगति 0.8911 और कुल अहर्गण गति 3229.8 53348 को जोड़ने पर जो संख्या प्राप्त हुई वह है 3579.8314 क्योंकि सूर्य के अंश 360 से अधिक नहीं होते हैं इसीलिए इसमें 360 का भाग देने पर जो संख्या प्राप्त हुई उसे छोड़कर जो शेष बचता है वह मध्यम सूर्य का मान होता है और हमारे पास जो शेष रहा वह साथ 339.8314 प्राप्त हुआ यही मध्यम सूर्य है ।।
इसके पश्चात दूसरी प्रक्रिया आरंभ की जा रही है इसमें रवि नीच का साधन किया जाता है रवि नीच साधन में चक्र की गति बदल दी जाती है यहां पर एक चक्र की गति .063 मानी गई है तथा इसको चक्र संख्या से गुणा करने पर जो उत्तर हमें प्राप्त होता है वह उत्तर 0.063 *7 बराबर 0.441 प्राप्त होगा प्राप्त उत्तर को रवि नीच के क्षेपक जो हमेशा स्थायी होते हैं 258. 683 में जोड़ दिया जाता है जोड़ने पर जो उत्तर प्राप्त होता है वही सूर्य नीच के अंश होते हैं इसे ही सूर्य नीच साधन कहा जाता है जैसे यहां दोनों संख्याओं को जोड़ने पर 258.683+0.441=259.124 प्राप्त हुआ अब जो मध्यम सूर्य 339 दसमलाव 8314 प्राप्त हुआ था उसमें 360 जोड़कर सूर्य नीच 259.124 को बाकी करने पर जो संख्या प्राप्त होगी यदि वह 360 से अधिक है तो उसमें से 360 घटाने पर सूर्य का मंद केंद्र प्राप्त होता है आइए यहां देखते हैं 339.8314+360=699.8314-259.124=440.7074-360=80.7074 यह प्राप्त हुआ मंद केंद्र सूर्य,अब हम इस मंद केंद्र का मंद फ़ल निकालेंगे जो इस प्रकार है

मन्दफल साधन:-मंदकेन्द्र की ज्या को 115.3 से गुणाकर तथा द्विगुणित मन्दकेन्द्रव्या को 1.2 से गुणाकर एवं त्रिगुणित मन्दकेन्द्रज्या को 0.0 से गुणाकर तीनोंका योगफल कलात्मक मन्द फल प्राप्त होता है। 80.707440813750 की ज्या0.986876695को 115.3 से गुणाकरने पर-113.7869 कला द्विगुणित मन्दकेन्द्र 161.4148816275000की ज्या0.318713को 1.2 से गुणा करनेपर 0.382456त्रिगुणित मन्दकेन्द्रज्या को ०.० से गुणा करने पर ०.० फल प्राप्त हुआ। इनतीनों का योग करने पर 114.16933870कला मन्द फल प्राप्त हुआ। इसको मध्यम सूर्य मेंधटाने पर मध्यम सूर्य 339.8314 अंशात्मक है अत: इसे कला विकला में परिणत कर
11राशि 09 अन्श 49 कला 08 विकला 50 प्रतिकला इसमें ,114.16933870 कला की
00 राशि 01 अन्श 54 कला 10 विकला 09 प्रतिकला को जोडने पर
11राशि 11अन्श 43कला 18 विकला 59 प्रतिकला स्पाष्ट सूर्य हुआ
यह 06 बजकर 45 मि० प्रातः भारतीय स्टैण्डर्ड समय कासूर्य स्पष्टः प्राप्त हुआ।
ज्योतिषाचार्य अक्षय शास्त्री

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