अग्निवास का मुहूर्त जानना – होम,यज्ञ या हवन आदि में (भू रुदन, भू रजस्वला, भू शयन, भू हास्य, किस पक्ष मे शुभ कार्य न करे, यज्ञ कुंड के प्रकार, कितना हवन किया जाए?) कोई भी अनुष्ठान के पश्चात हवन करने का शास्त्रीय विधान है और हवन करने हेतु भी कुछ नियम बताये गए हैं जिसका अनुसरण करना अति – आवश्यक है , अन्यथा अनुष्ठान का दुष्परिणाम भी आपको झेलना पड़ सकता है । इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है हवन के दिन ‘अग्नि के वास ‘ का पता करना ताकि हवन का शुभ फल आपको प्राप्त हो सके । 1- जिस दिन आपको होम करना हो, उस दिन की तिथि और वार की संख्या को जोड़कर 1 जमा (1 जोड़ ) करें फिर कुल जोड़ को 4 से भाग देवें- अर्थात् शुक्ल प्रतिपदा से वर्तमान तिथि तक गिनें तथा एक जोड़े , रविवारसे दिन गिने पुनः दोनों को जोड़कर चार का भाग दें। -यदि शेष शुन्य (0) अथवा 3 बचे, तो अग्नि का वास पृथ्वी पर होगा और इस दिन होम करना कल्याणकारक होता है । -यदि शेष 2 बचे तो अग्नि का वास पाताल में होता है और इस दिन होम करने से धन का नुक्सान होता है । -यदि शेष 1बचे तो आकाश में अग्नि का वास होगा, इसमें होम करने से आयु का क्षय होता है । अतः यह आवश्यक है की होम में अग्नि के वास का पता करने के बाद ही हवन करें । शास्त्रीय विधान के अनुसार वार की गणना रविवार से तथा तिथि की गणना शुक्ल-पक्ष की प्रतिपदा से करनी चाहिए तदुपरांत गृह के ‘मुख-आहुति-चक्र ‘ का विचार करना चाहिए । मान लो आज हम कृष्ण पक्ष की दसवी तिथि है तो । शुक्ल प्रतिपदा से पूर्णिमा तक 15 तिथि तो कुल योग आया 15 + 10 + 1 = 26 आज कौन सा दिन हैं और इस दिन को रविवार से गिने । मानलो आज सोमवार हैं तो रविवार से गिनने पर सोमवार 2 आया । कुल योग 26 + 2 = 28 /4 कर दे तो शेष कितना बचा । भाग 07 बार गया ओर 0 को शेष कहा जायेगा । परिणाम इस प्रकार से होंगे । • शेष 0 तो अग्नि का निवास पृथ्वी पर । • शेष 1 तो अग्नि का निवास आकाश मे । • शेष 2 तो अग्नि का निवास पाताल मे । • शेष 3 बचे तो पृथ्वी पर माने । पृथ्वी पर अग्नि वास सुख कारी होता हैं । आकाश मे प्राणनाश और पाताल मे धन नाश होता हैं । मतलब हमें वह तिथि चुनना हैं जिस तिथि मे शेष 3 बचे । वह तिथि ही लाभकारी होगी । प्रज्वलित अग्नि के आकार को देख कर कई नाम रखे गए हैं । पर अभी उनसे हमें सरोकार नही हैं । इस तरह से अग्नि वास का पता हमें लगाना हैं।