शिव वास से पता चलता है इस समय महादेव क्या कर रहे हैं

शिव वास से पता चलता है इस समय महादेव क्या कर रहे हैं

सभी अपनों को राम राम
आपकी और हमारी प्रार्थनायें और उर्जायें भगवान शिव तक पहुंचती ही हैं. इनके लिये पहले से पता करलें कि शिव जी उस समय क्या कर रहे हैं.
कहा जाता है भोलेनाथ अपने भक्तों की भक्ति से विवश होकर हर समय उनकी प्रार्थनायें पूरी करने में जुटे रहते थे. जिससे ब्रह्मांड के कामकाज प्रभावित होने लगे.
इसे ऐसे समझें जैसे कोई प्राइम मिनिस्टर हर दिन 24 घंटे जनसमस्यायें ही सुनता रहे तो राज काज नही चल सकता. उसके लिये भी समय देना जरूरी होता है.|

देवताओं के समक्ष बड़े संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई. साथ ही शिव जी के परिवार के लोग उनका साथ पाने को तरसने लगे.

तब भगवान विष्णु ने शिव वास का नियम बनाया. ताकि भोलेनाथ को भक्तों की पुकार सुनने के साथ ही संसार का संचालन करने का भी समय मिल सके. साथ ही वे कुछ समय अपने परिवार को भी दे सकें.

शिव वास से पता चलता है कि उस समय भगवान शिव क्या कर रहे हैं. उनसे प्रार्थना का कौन सा समय उचित है.
नारद ऋषि द्वारा रचित शिव वास देखने का फार्मूला समझ लें. उसके अनुसार शिव वास का विचार करें.
“तिथिं च द्धिगुणीकृत्य पंचभिश्च समव्रितम।।
सप्तभिस्तुहरेभ्दिग्मशेषं शिव वस् उच्चयते।।
एके कैलाश वासंद्धितीये गौरिनिधौ।।
तृतीये वृषभारूढं चतुर्थे च सभास्थित।
पंचमेंभोजने चैव क्रीड़ायान्तुसात्मके शून्येश्मशानके चैव शिववास वास संचयोजयेत।।“

वर्तमान तिथि को २ से गुणा करके पांच जोड़ें फिर ७ का भाग दें . शेष १ रहे तो शिव वास कैलाश में, २ से गौरी पाशर्व में, ३ से वृषारूड़ श्रेष्ठ, ४ से सभा में सामान्य एवं ५ से ज्ञानबेला में श्रेष्ठ होता है. यदि शेष ६ रहे तो क्रीड़ा में तथा शून्य से शमशान में अशुभ होता है. तिथि की गणना शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से करनी चाहिए. शिवार्चन के लिए शुभ तिथियाँ शुक्ल पक्ष में २,५,६,७,९,१२,१३,१४ और कृष्ण पक्ष में १,४,५,६,८,११,१२,१३,३०

शिववास फलम :-

“कैलाशे च भवेत्सुरुयंगौर्यायांतु शम्भु वदेत।।
वृषभेयश्रिय: प्राप्ति: सभायां वद्ध्रतीकुलम।।
भोजनस्च्वे क्रीड़ा संतपकारक: श्मशानेतुभवेंमृत्यु: शिववास सफलं वदेत।।“

अर्थात ज्योतिष गणनानुसार तिथि को दुगनी करके उसमें 5 को छोड़ दें, फिर 7 के भाग से शेष जो अंक बचे उसके आधार पर शिव निवास ज्ञात करें। 1 आने पर जानिए कि भोलेनाथ कैलाश पर निवास कर रहे हैं, 2 में वे गौरी के साथ हैं, 3 में वृषभ पर विराजमान हैं, 4 में सभा में स्थित हैं, 5 में भोजन कर रहे हैं, 6 में क्रीड़ा में हैं, शून्य में श्मशान में निवास कर रहे हैं।

शिवार्चन व रुद्राभिषेक के लिए प्रत्येक माह की शुभ तिथियां इस प्रकार हैं- कृष्णपक्ष में 1, 4, 5, 6, 8, 11, 12, 13 व अमावस्या। शुक्लपक्ष में 2, 5, 6, 7, 9, 12, 13, 14 तिथियां शुभ हैं। शिव निवास का विचार सकाम अनुष्ठान में ही जरुरी है। निष्काम भाव से की जाने वाली अर्चना कभी भी हो सकती है। ज्योतिलिंग क्षेत्र एवं तीर्थस्थान में तथा शिवरात्रि, प्रदोष, सावन सोमवार आदि पर्वों में शिव वास का विचार किए बिना भी रुद्राभिषेक (जलाभिषेक) किया जा सकता है।
– सोमवार, प्रदोष, शिवरात्रि पर शिव वास देखने की जरूरत नही होती.
– ज्योतिर्लिंग क्षेत्र में शिव वास देखने की जरूरत नही होती.
–शिव जी की सामान्य पूजा अर्चना में शिव वास देखने की जरूरत नही होती.
-मानस पूजा में शिव वास देखने की जरूरत नही होती.
-जनहितार्थ की जाने वाली विशेष शिव साधनाओं में भी शिव वास की जरूरत नही होती.
–शिव गुरू के समक्ष अपनी बात रखने के लिये कभी शिव वास की जरूरत नही होती.

जो लोग स्वयं के लिए या अपने किसी परिचित के लिए रुद्राभिषेक करवाना चाहते हैं लेकिन किसी कारण आप उसमे स्वयं उपस्थित नहीं हो सकते तो हम आपके नाम से यह पाठ करा सकते हैं। इसके लिए आप हमें नीचे लिखी जानकारी भेजें |

१. आपका नाम ( Your Name )
२. आपके माता पिता का नाम (Your Parent’s Name)
३. आपके परिवार के अन्य सदस्यों का नाम (Name of other family members who want to get benefit)
४. आपका गोत्र (Your Gotra. If you know it is ok otherwise no need to send)
५. आपका एक फोटोग्राफ (Your latest photograph)
६. आपका पता जहां पूजा का प्रसाद आपको भेजा जायेगा। (Your address where we will send pooja prasaad)
इस संपूर्ण पूजा का शुल्क Rs 3100 है जिसे आप नीचे लिखे अकाउंट में जमा करा सकते हैं।

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AKASHYA GAUTAM
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29720100010214
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सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है.
हर हर महादेव

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