सप्तम हो दूषित तो दाम्पत्य जीवन हो जाता है खराब – डॉक्टर शेफाली गर्ग
राष्ट्रीय ज्योतिष एवं रुद्राक्ष अनुसंधान संस्थान न्यास के तत्वाधान में राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें देश-विदेश के विभिन्न ज्योतिषियों ने भाग लिया और जातक की जन्म कुंडली के अनुसार सप्तम भाव का फलादेश और जातक की जन्मकुंडली में सप्तम भाव की भूमिका पर विचार किया राष्ट्रीय ज्योतिष एवं रुद्राक्ष अनुसंधान संस्थान न्यास के द्वारा आयोजित इस सेमिनार में सभी ज्योतिषियों ने सप्तम भाव जनित रोग सप्तम भाव से उत्पन्न समस्याएं उनके निराकरण के बारे में चर्चा की कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आचार्य पंकज त्रिवेदी ने बताया की किसी भी जातक के वैवाहिक जीवन में सप्तम भाव का विशेष महत्व होता है आचार्य पंकज त्रिवेदी
के अध्यक्षता में उपस्थित समस्त विद्वानों ने अपनी अपनी राय प्रस्तुत की ,कार्यक्रम में उपस्थित डॉक्टर शेफाली गर्ग ने बताया कि यदि सप्तम भाव दूषित है तो दांपत्य जीवन खराब हो जाता है
कई बार दाम्पत्य जीवन आर्थिक दृष्टिकोण की वजह से, अन्य संबंधों के चलते भी टूट जाता है। शंका भी दाम्पत्य जीवन में दरार का कारण बनती है। कभी-कभी पारिवारिक तालमेल का अभाव भी एक कारण बनता है। इन सबके लिए सप्तम भाव, लग्न, चतुर्थ, पंचम भाव के साथ-साथ शुक्र-शनि-मंगल का संबंध भी महत्वपूर्ण माना गया है। चतुर्थ भाव में यदि शनि सिंह राशि का हो या मंगल की मेष या वृश्चिक राशि का हो या राहु के साथ हो तो पारिवारिक जीवन कलहपूर्ण रहता है।
शनि-मंगल का दृष्टी संबंध हो या युति हो तो भी पारिवारिक जीवन नष्ट होता है। कोई भी नीच का ग्रह हो तब भी पारिवारिक कलह का कारण बनता है। यदि ऐसी स्थिति हो तो उस ग्रह से संबंधित वस्तु को जमीन में गाड़ देवें। लग्न का स्वामी नीच का हो या लग्न में कोई नीच ग्रह हो तो वह जातक को बुरी प्रवृति का बना देता है।
लग्न का स्वामी शनि मंगल से पीडि़त नहीं होना चाहिए। पंचम भाव प्रेम व सन्तान का होता है यदि यह भाव शनि-मंगल के साथ हो या दृष्टि संबंध रखता हो तो उस जातक के जीवन में सन्तान का अभाव या सन्तान से पीडा़ रहती है व उसके जीवन में प्रेम का अभाव रह सकता है। सप्तम भाव जीवनसाथी का होता है, इस भाव का स्वामी राहु से पीडि़त हो तो दाम्पत्य जीवन बाधित रहेगा। इस भाव में भावेश के साथ शनि-मंगल हो तो द्वितीय विवाह होता है या दाम्पत्य जीवन में बाधा रहती है।
दाम्पत्य जीवन तभी सही चलता है जब एक-दूसरे में सही तालमेल हो अन्यथा जीवन नश्वर ही समझो। दाम्पत्य की गाडी़ सही चले इसके लिए अपने जीवनसाथी का स्वभाव व व्यवहार के साथ वाणी भी अच्छी होना चाहिए। वहीं पति को भी अपनी पत्नी के प्रति सजग व वफादार होना चाहिए।