चंद्रमा-मंगल की युति के फल स्वरुप उत्पन्न होने वाली रासायनिक प्रक्रिया का विश्लेषण
वैसे तो सामान्य रूप से इन दोनों ग्रहों की युति का फल जातक की पत्रिका में युति की राशि एवं भाव पर निर्भर करता है परंतु सामान्य रूप से *महत्वपूर्ण रसायनिक प्रक्रिया जातक की शारीरिक एवं मानसिक अवस्था पर अवश्य होता है* लेकिन इस रसायनिक प्रक्रिया के फल स्वरुप उत्पन्न प्रभाव का फलादेश राशि विशेष एवं भाव विशेष जहां जातक की जन्मपत्रिका में नहीं यह युति हो रही होती है उस पर निर्भर करता है.
(1) चंद्रमा जल तत्व का एवं मंगल अग्नि तत्व का द्योतक है. हर व्यक्ति मैं शारीरिक रूप से लगभग 70% जल होता है तथा चंद्रमा व्यक्ति की भावनाओं को भी प्रदर्शित एवं निर्धारित करता है. जबकि मंगल अग्नि तत्व होने के कारण व्यक्ति के शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है
(2) रसायन शास्त्र के अनुसार अगर देखा जाए तो जब भी जल को अग्नि ऊर्जा (युति के कारण) मिलेगी तब तब जल में उबाल आने लगता है और शारीरिक जल को भाप में परिवर्तित करने की क्षमता रखता है. सही है कि रसायनिक प्रक्रिया का फल इस बात पर निर्भर करता है कि उर्जा कितनी और किस प्रकार की मिल रही है – “सकारात्मक अथवा नकारात्मक”. ऊर्जा की गुणवत्ता मंगल किस राशि में है इस पर निर्भर करेगा.
(3) चंद्रमा की गुणवत्ता इस पर भी निर्भर करती है कि जातक के जन्म के समय चंद्रमा कृष्ण पक्ष का है अथवा शुक्ल पक्ष का, बली है या नीच का है.
(4) यदि चंद्रमा कमजोर है और मंगल शक्तिशाली है तो मंगल की ऊर्जा जातक की शारीरिक एवं मानसिक अवस्था को काफी कंट्रोल करता है तथा जातक के व्यवहार में एक प्रकार का अग्रेशन उत्पन्न करता है. इसके अतिरिक्त भाव विशेष में यह युति होने पर जातक विशेष विमशोत्तरी दशा के अंतर्गत डिप्रेशन भी उत्पन्न कर सकता है. इस स्थिति की संभावना मंगल (वक्री) के गोचर में और अधिक बढ़ जाती है.
(5) मंगल बली होने पर जातक का ब्लड प्रेशर भी ज्यादा रहता है. अतः अमावस्या एवं पूर्णिमा के दिनों के आसपास जातक को हार्ट अटैक संबंधित बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है.
(6) चंद्रमा – मंगल की युति में अगर शनि की नीच दृष्टि होती है तो जातक अंडरवर्ल्ड का माफिया बन जाता है और अगर सकारात्मक दृष्टि रहती है तो वह पुलिस अथवा आर्मी में सफलता प्राप्त करता है.
(7) चन्द्रमा कर्क राशि का स्वामी होता है. यह वृषभ राशि में उच्च का एवं वृश्चिक राशि में नीच का होता है. पृथ्वी के निकट होने के कारण व्यक्ति पर चन्द्रमा का प्रभाव भी जल्दी दिखाई देता है. यह सूर्य से जितना दूर रहता हे उतना ही शुभ, शक्तिशाली और बलवान होता है. यह सूर्य से जितना निकट होता है उतना ही कमज़ोर और मंद होता है.
(8) मंगल रक्त वर्ण, उष्ण प्रकृति, अग्नि तत्व, पुरुष स्वभाव एवं तमोगुणी ग्रह है। यह मेष एवं वृश्चिक राशियों का स्वामी है। मेष राशि इसकी मूल त्रिकोण राशि है। मकर राशि में यह उच्च का एवं कर्क राशि में नीच का माना गया है। मंगल बल, साहस और सामथ्र्य का प्रतीक है।
(9) चन्द्र मंगल का शुभ योग फल;
कुण्डली में चन्द्रमा और मंगल मिलकर शुभ योग का भी निर्माण करते है. मंगल व्यक्ति को सामर्थ्यवान और शक्तिशाली बनाता है तो चन्द्रमा बुद्धिमान बनाता हैं. इन गुणों के कारण व्यक्ति समाज एवं परिवार में सम्मान व आदर प्राप्त करता है. इस उत्तम योग के कारण व्यक्ति की आर्थिक स्थिति भी अच्छी रहती है.
(10) चन्द्रमा मंगल को सम मानते हैं जबकि मंगल, चन्द्र को मित्र मानते हैं। सूर्य इन दोनों ग्रहों के मित्र हैं परन्तु शनि उन्हें शत्रु मानते हैं।
(11) यह योग व्यक्ति को जिद्दी व अति महत्वाकांक्षी बनाता है। यश तो मिलता है, मगर स्वास्थ्य हेतु यह योग हानिकारक है। रक्त संबंधी रोग होते हैं।
(12) मंगल को ग्रहों में सेनापति कहा जाता है जो युद्ध एवं शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक होता है. जैसे युद्ध के समय बुद्धि से अधिक योद्धा बल का प्रयोग करते हैं, ठीक उसी प्रकार इस युति वाले व्यक्ति परिणाम की चिंता किये किसी भी कार्य में आगे कदम बढ़ा देते हैं जिससे इन्हें नुकसान भी होता है. वाणी में कोमलता एवं नम्रता की कमी के कारण यह अपनी बातों से कभी-कभी मित्रों को भी शत्रु बना लेते हैं.
(13) चन्द्रमा का मंगल के साथ जाते ही गर्म भाप का रूप ले लेता है और मानसिक सोच या जो भी गति होती है वह गर्म स्वभाव की हो जाती है. मंगल के साथ चन्द्रमा युति होती है तो वह अपनी सोच को क्रूर रूप से पैदा कर लेता है उसकी सोच मे केवल गर्म पानी जैसी बौछार ही निकलती है.
(14) चन्द्रमा व मंगल एक साथ 1/4/7/10 केन्द्र भावस्थ 5/9 त्रिकोण में अथवा 2/11 भाव में कही हो तो जातक धनाढ्य होता है.
(15) चंद्रमा मंगल की युति प्रारम्भिक जीवन संघर्षमय बनाती है परन्तु बाद में उत्तरोत्तर उच्च शिखर पर पहुंच जाते है। इन्हे आगे बढ़ने से कोई रोक भी नहीं सकता। यदि यह स्थिति अशुभ घर में हो तो इनकी माता को कोई कष्ट होता है। व्यक्ति को शरीर में कोई न कोई चोट का निशान होता है।
(16) जिस जातक का जन्म मेष, कर्क, तुला, वृश्चिक, मकर, मीन लग्न या राशि में हुआ है तो उस जातक के लिए चंद्र-मंगल योग शुभ फल प्रदान करता है। ऐसी स्थिति में यह योग व्यक्ति को धनवान, बुद्धिमान, सामर्थ्यवान, सामाजिक श्रेष्ठता और शक्तिशाली बनाता है। शुभ योग व्यक्ति को समाज
वं परिवार में सम्मान व आदर दिलवाता है.
(17) यदि यह योग किसी भी जातक के जन्मकुंडली में प्रथम,चतुर्थ,सप्तम,अष्टम तथा द्वादश स्थान में बन रहा है तो ऐसा जातक मांगलिक होता है। यह स्थिति चाहे पुरुष की कुंडली में हो या स्त्री की कुंडली में सुखमय वैवाहिक जीवन में अनेक बाधाएं आती है। पति पत्नी के मध्य बराबर नोकझोक होती रहती है कई बार तो ये दोनों साथ होकर भी अलग अलग जीवन व्यतीत करते है शारीरिक सम्बन्धो का अभाव रहता है। विधवा, विदुर या तलाक जैसी स्थिति से इंकार नहीं किया जा सकता है।
प्रोफेसर अनिल मित्रा
एस्ट्रो सोच