‘शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे,सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोस्तुते।’

‘शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे,सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोस्तुते।’


कोरोना वायरस के खतरे के बीच इस बार त्योहारों का रंग कुछ फीका-सा कर दिया। जहां लोगों ने होली भी काफी सर्तकता के बीच मनाई, वहीं ऐसे भी लोग थे जिन्होंने होली नहीं मनाने में ही अपनी भलाई समझी।बहरहाल, कोरोना की वजह से देश के कई हिस्से 31 मार्च तक लॉकडाउन कर दिए गए हैं। ऐसे में नवरात्रि पूजन करना किसी चुनौती से कम नहीं है। इस वर्ष चैत्र नवरात्र 25 मार्च 2020 से लेकर 2 अप्रैल 2020 तक रहेंगे।जिसमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा अलग-अलग दिन होती है। ऐसे में आपको पूजन की तैयारियां कर लेनी चाहिए-

25 मार्च से होंगी नौ शक्तियों की आराधना
25 मार्च से नवरात्रि पर्व शुरू होने जा रहा है और 2 अप्रैल को नवरात्रि का आखिरी दिन होगा। इस बार की नवरात्रि कई कारणों की वजह से खास मानी जा रही है। एक तो इस बार किसी तिथि का क्षय नहीं है जिस वजह से मां दुर्गा की उपासना के लिए पूरे नौ दिन मिलेंगे। दूसरा नवरात्रि में कई शुभ योग भी बन रहे हैं। जिनमें चार सर्वार्थसिद्धि योग, 6 रवि योग, एक अमृतसिद्धि योग, एक द्विपुष्कर योग और एक गुरु पुष्य योग बनेगा।

हिंदू पंचांग अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत का पहला दिन है। मान्यता है कि इसी दिन से कालगणना प्रारंभ हुई थी। इसी दिन ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती के कहने पर सृष्टि का निर्माण किया था। इसी दिन सूर्य की पहली किरण पृथ्वी पर फैली थी। 9 ग्रह, 27 नक्षत्र और 12 राशियों का उदय और भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार भी इसी दिन हुआ था। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि 24 मार्च मंगलवार दोपहर 2:57 बजे से लग जायेगी और बुधवार शाम 05:26 बजे तक रहेगी। 25 मार्च 06:19 ए एम से 07:17 ए एम तक घटस्थापना का मुहूर्त है।

कब कौन सा योग
26 मार्च को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग
27 मार्च को सर्वार्थ सिद्धि योग (06:17 प्रात: से 10:09 प्रात:) और रवि योग
28 मार्च रवि योग
29 मार्च को रवि योग
30 मार्च पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और 06:13 प्रात: से 05:18 रात्रि तक रवि योग
31 मार्च को द्विपुष्कर योग (06:12 प्रात:से 06:44 रात्रि) और रवि योग (07:14 प्रात: से 06:44 रात्रि)
2 अप्रैल पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग (07:29 रात्रि से 06:09 प्रात:, अप्रैल 03), रवि योग (07:29 रात्रि से 06:09 प्रात:, अप्रैल 03)
यह रहेगा घट स्थापना का मुहूर्त
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा बुधवार को बसंत नवरात्र का शुभारंभ होगा। देवी का आह्वान अर्थात घट स्थापना के लिए देवी पुराण व तिथि तत्व में प्रात:काल का समय ही श्रेष्ठ बताया गया है। इस दिन प्रात:काल में द्विस्वभाव लग्न में घट स्थापना करनी चाहिए। प्रतिपदा बुधवार को सूर्योदय 6:29 बजे होगा। द्विस्वभाव लग्न 7:26 बजे तक रहेगा। ऐसे में घट स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 6:29 से 7:26 बजे तक रहेगा। प्रतिपदा को बुधवार होने से इस बार घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त त्याग्य रहेगा। ऐसे में अभिजित समय दोपहर 12:09 से 12:57 बजे तक का समय स्थापना के लिए टाला जाना चाहिए। नवरात्र की
महाष्टमी 1 अप्रैल को मनाई जाएगी। जबकि रामनवमी व महानवमी 2 अप्रैल की रहेगी।
1842 बाद अब बनेगा विशेष दुर्लभ योग में होगी माँ की पूजा
चैत्र नवरात्र पर एक विशेष दुर्लभ योग बन रहा है। 11 अप्रैल 1842 से शुरू हुए चैत्र नवरात्र के बीच 16 अप्रैल को गुरु ने मकर राशि में गोचर किया था। गुरु का वही गोचर संयोग इस साल 25 मार्च से शुरू हो रहे नवरात्र के बीच 29 मार्च 2020 को भी बन रहा है।
नवरात्र के बीच में ही 29 मार्च को गुरु का गोचर होगा। बृहस्पति देव अपनी राशि धनु से मकर राशी में परवेश कर जायेंगे । मकर राशि गुरु ग्रह की नीच राशि है।मकर में शनि और मंगल पहले से ही विराजमान होंगे जो एक दुर्लभ संयोग का निर्माण कर रहे हैं।

बासंती नवरात्र के घट स्थापना मुहूर्त

द्विस्वभाव मिथुन लग्न में : दोपहर 11 से 12:07 बजे तक
मुहूर्त के चौघड़िये
लाभ-अमृत : सुबह 6:29-9:31 बजे तक
शुभ- सुबह 11:02 से दोपहर 12:07 बजे तक।

किस कार्य के लिए कितनी बार करें दुर्गा पाठ
जिस प्रकार यज्ञों का राजा अश्वमेध तथा देवताओं के राजा भगवान इंद्र को कहा जाता है। उसी तरह स्त्रोतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्त्रोत दुर्गा सप्तशती है। इसलिए सभी भक्तों को पूर्ण श्रद्धाभाव व समर्पण के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। धर्मशास्त्रानुसार कामना पूर्ति के लिए दुर्गा सप्तशती के कितने आवृत्ति पाठ करना चाहिए तथा इनसे किन-किन फलों की प्राप्ति होती है।
नवग्रहों को शांत करने के लिए दुर्गासप्तशती की पांच आवृत्ति पाठ करना चाहिए।
महाभय उपस्थित होने पर सात आवृत्ति, दुष्टों का दमन एवं अभिलाषा पूर्ति के लिए 12 आवृत्ति,
शत्रुओं को वश में करने करने के लिए 14 आवृत्ति,
सुख-शांति व समृद्धि के लिए लिए 15 आवृत्ति,
पुत्र-पौत्र व धन-धान्य के लिए 16 आवृत्ति,
राजभय से मुक्ति के लिए 17 आवृत्ति
शत्रु उच्चाटन के लिए 18 आवृत्ति,
गंभीर बीमारी से मुक्ति के लिए 20 आवृत्ति
कारागार से छुटकारा पाने के लिए दुर्गासप्तशती के 25 आवृत्ति पाठ फलदायक होता है।
इसी प्रकार मुसीबत एवं इलाज बिगड़ जाने पर, जातीय विनाश उत्पन्न होने पर स्वपरिवार से अलग होने, शत्रु और रोग बढ़ जाने, धन का नाश होने तथा दैहिक-दैविक व भौतिक ताप होने पर एवं अतिशय पाप लगने पर प्रयासपूर्वक दुर्गा सप्तशती के एक सौ आवृत्ति पाठ करना चाहिए। देवी पुराण के अनुसार दुर्गासप्तशती के एक सौ आवृत्ति पाठ करनेवालों के लिए लक्ष्मी तथा राज्य की वृद्धि होती है।
नवरात्रि के 9 दिन, इस दिन करें देवी के इस स्वरूप की पूजा
नवरात्रि के 9 दिनों में किस दिन किस देवी की आराधना करने से मिलेगा मनचाहा फल

25 मार्च- प्रथमा तिथि, गुड़ी पड़वा, नवरात्रि आरंभ, घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा, हिंदू नव वर्ष की शुरुआत
26 मार्च- द्वितीया तिथि, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
27 मार्च- तृतीया तिथि, मां चंद्रघंटा की पूजा
28 मार्च- चतुर्थी तिथि, मां कुष्मांडा की पूजा
29 मार्च- पंचमी तिथि, मां स्कंदमाता की पूजा
30 मार्च- षष्ठी तिथि, मां कात्यायनी की पूजा
31 मार्च- सप्तमी तिथि, मां कालरात्रि की पूजा
1 अप्रैल- अष्टमी तिथि, मां महागौरी की पूजा
2 अप्रैल- नवमी तिथि, मां सिद्धिदात्रि की पूजा


09 देवी स्वरूप 09 तिथि और 09 रंग जो आपको हर प्रकार से मजबूत बनायेंगे
शैलपुत्री को देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में प्रथम माना गया है। मान्यता है कि नवरात्र में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है।
प्रतिपदा का रंग है पीला-पीला रंग ब्रह्स्पति का प्रतीक है। किसी भी मांगलिक कार्य में इस रंग की उपयोगिता सर्वाधिक मानी गई है। इस रंग का संबंध जहां वैराग्य से है वहीं पवित्रता और मित्रता भी इसके दो प्रमुख गुण हैं।
विशेष :-पवित्रता (साफ सफाई )रखते हुए कोरोना जैसी महामारी से सामना करने की शक्ति प्राप्त होगी

2- द्वितीया ब्रह्मचारिणी –
नवरात्र के दूसरे दिन अर्थात् द्वितीया तिथि पर ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती हैं | तप का आचरण करने वाली देवी के रूप में भगवती दुर्गा के द्वितीय स्वरूप का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।
द्वितीया पर हरा रंग हर्षित करेगा मन-हरा रंग बुध ग्रह का प्रतीक माना गया है। इस रंग के उपयोग से जहां जीवन में प्रेम का प्राबल्य बढ़ता है|
विशेष :-मन को प्रसन्न रखते हुए कोरोना जैसी महामारी से सामना करने की प्रबलता बड़ेगी जिससे कोरोना का खात्मा होगा |

3-तृतीया चंद्रघंटा-
तृतीया में देवी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा होती है। देवी पुराण के अनुसार देवी दुर्गा के तृतीय स्वरूप को चंद्रघंटा नाम मिला।
तृतीया पर भूरा रंग दूर रखेगा भ्रम से-भ्रम व्यक्ति के विकास की सबसे बड़ी बाधा है। तृतीया तिथि पर भूरे रंग का उपयोग आप को भ्रम की बाधा से दूर रखेगा।
विशेष :- निर्णय लेने की क्षमता बड़ेगी भ्रम की स्थिति उत्पन्न नही होने से कोरोना का खात्मा होगा |

4-चतुर्थी कूष्मांडा-
चतुर्थी तिथि पर देवी के कुष्मांडा स्वरूप का दर्शन-पूजन करने से मनुष्य के समस्त पापों का क्षय हो जाता है। देवी के कुष्मांडा स्वरूप के दर्शन पूजन करने रोग और शोक का हरण होता है साथ ही साथ यश और धन में भी अपेक्षित वृद्धि होती है।

चतुर्थी तिथि पर नारंगी रंग खोलेगा ज्ञान और ऊर्जा के द्वार_नारंगी रंग लाल और पीले रंग से मिलकर बना है। ऐसे में यह रंग दोनों रंगों का असर एक साथ अपने अंदर समाहित किए रहता है। नारंगी रंग ज्ञान, ऊर्जा, शक्ति, प्रेम और आनंद का प्रतीक है।
विशेष :- ज्ञान, ऊर्जा, शक्ति, प्रेम और आनंद की प्राप्ति होने से समाज को इस महामारी से लड़ने में सहायता मिलेगी |

5-पंचमी स्कंदमाता-इस तिथि पर देवी दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप का दर्शन पूजन होता है।
पंचमी पर सफेद रंग देगा शांति और सादगी-सफ़ेद रंग शांति,पावनता और सादगी को दर्शाता है। इस रंग के प्रयोग से चंद्रमा और शुक्र की कृपा बनी रहती है। मन की एकाग्रता व महामारी जैसी बिमारियों की शांति के लिए पंचमी तिथि पर इस रंगा का उपयोग सर्वोपरि माना गया है।
विशेष :- मन की एकाग्रता बढ़ेगी जिससे महामारी जैसी बिमारियोंकी शांति होगी

6-षष्ठी कात्यायनी- इस दिन देवी के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है।
षष्ठी:लाल रंग आप में भरेगा उत्साह और साहस_लाल रंग को मंगल और सूर्य का संयुक्त प्रतीक माना गया है। यह प्रेम, उत्साह और साहस का रंग है।
विशेष :- ज्ञान, ऊर्जा, शक्ति, प्रेम और आनंद की प्राप्ति होने से समाज को इस महामारी से लड़ने में सहायता मिलेगी |

7-सप्तमी कालरात्रि- देवी दुर्गा की आराधना क्रम में नवरात्र की सप्तमी तिथि पर देवी के कालरात्रि सवरूप का पूजन किया जाता है।
इनके स्वरूप, स्वभाव और प्रभाव का आभास उनके नाम से ही हो जाता है। अंधकारमय परिस्थितियों का नाश करने वाली देवी अपने भक्त की काल से भी रक्षा करती हैं। देवी कालरात्रि के दर्शन पूजन नौ ग्रहों द्वारा खड़ी की जाने वाली बाधाएं दूर हो जतीा हैं।
सप्तमी पर नीला रंग जोड़ेगा सामाजिकता से- सप्तमी तिथि पर नीले रंग का उपयोग सामाजिक दृष्टिकोण से आप के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगा। इस रंग की विशेषता यह है कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव छोड़ता है। यह रंग राहु को नियंत्रित करने वाला भी होता है।
विशेष :-सकारात्मक समाजिक दृष्टिकोण की प्राप्ति होने से समाज को इस महामारी से लड़ने में सहायता मिलेगी |

8-अष्टमी महागौरी-इस तिथि पर देवी के महागौरी स्वरूप का पूजन होगा।
अष्टमी पर गुलाबी रंग बनाएगा बलशाली-शुक्र, चंद्र और मंगल का संयुक्त रंग गुलाबी माना गया है लेकिन शुक्र ग्रह इससे सर्वाधिक प्रभावित होता है। अष्टमी तिथि पर इस रंग का अधिकाधिक उपयोग शारीरिक बल को संपुष्ट करता है।
विशेष :- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने से इस महामारी से लड़ने की शक्ति प्राप्तहोगी |

9-नवमी सिद्धिदात्री-इस तिथि पर देवी के सिद्धिदात्री स्वरूप का दर्शन-पूजन होगा।
बैगनी रंग आप में भरेगा ओज-शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि पर बैगनी रंग का उपयोग आपके जीवन में ओज भरेगा। ज्योतिष में इसे हिंसक रंग भी कहा गया है लेकिन धार्मिक कार्यों में इस रंग का उपयोग सकारात्मक फल देता है। यह रंग आपके आसपास के परिवेष में घुली नकारात्मकता को भी दूर करने में भरपूर सहायक होता है।

विशेष :- सकारात्मकता बढ़ने और नकारात्मकता की कमी होगी जिससे समाज को इस महामारी से लड़ने में सहायता मिलेगी |

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