सूर्य का मेष राशि में आना बहुत जरूरी , तब कोरोना का अंत भी संभव
चीन के वुहान शहर से एक महामारी का रूप ले चुका कोरोना वायरस आज पूरे विश्वभर में चर्चा के चरम पर है । कोरोना वायरस के रूप में शुरू हुई महामारी से लाखों लोग प्रभावित हो चुके हैं। भारत में भी इसके बहुत से मामले सामने आने लगे हैं, लेकिन लोगों के मन में एक ही सवाल है कि इस वायरस से कब राहत मुक्ति् मिलेगी।
ज्योतिष विज्ञान की दृष्टिह से देखें तो इस समय में कोरोना वायरस का सामने आना एवं महामारी का रूप लेना ये मात्र कोई संयोग नहीं है बल्कि इसके पीछे बहुत विशेष ज्योतिषीय कारण और वर्तमान ग्रह स्थितियां हैं। इसी वजह से कोरोना वायरस विश्वस्तर पर एक महामारी के रूप में फैलता जा रहा है।
भारतीय ज्योतिष के जानकर श्री साकेत पञ्चांग निर्माता ज्योतिषाचार्य अक्षय शास्त्री ने बताया की वायरस का कारक राहु और शनि को माना जाता है। इन्हीं के प्रकोप के कारण कोरोना महामारी फैली है। शनि के स्वराशि मकर में होने के कारण इस महामारी का प्रभाव निरंतर बढ़ रहा है।
हालांकि, सूर्य जब मेष राशि में प्रवेश करेंगे, तब कोरोना का अंत भी संभव हो पाएगा। ज्योतिष के अनुसार, सूर्य 14 अप्रैल 2020 को मेष राशि में प्रवेश करेंगे। भारत की कुंडली के अनुसार वृष लग्न की कुंडली में चंद्र में शनि की अंतर्दशा चल रही है।
वर्तमान में राहु उच्च राशि मिथुन में गोचर कर रहे हैं जो भारत की कुंडली का द्वितीय भाव है। इसे कालपुरुष की कुंडली में मुंह, नाक, कान, गले का कारक माना जाता है। राहु लग्नस्थ और साथ ही शुक्र षष्टेश होकर शनि के साथ तृतीयस्थ हैं। अर्थात
तृतीय भाव से श्वांस नली, दमा, खांसी, फेफड़े, श्वांस संबंधी रोग हो रहे हैं।
चूंकि वायरस हवा के माध्यम से फैल रहा है और आक्सीजन का कारण चंद्र हैं। चंद्र अपनी स्वराशि में है, जिससे थोड़ा कम असर है, लेकिन जब देव गुरु बृहस्पति 30 मार्च को अपनी नीच राशि मकर में गोचर करेंगे, तब इसका प्रभाव बढ़ सकता है।
गुरु भारत की कुंडली में छठें भाव में है जो रोग, शत्रु का भाव कहलाता है। गोचर में शनि को देखें तो 24 जनवरी से स्वराशि मकर में पहले से ही विद्यमान हैं और अब मंगल भी 22 मर्च को उच्च राशि मकर में गोचर करेंगे। मंगल सेनापति माने जाते हैं और शनि सत्ता व न्याय के कारक, ऐसे में सत्ता और सेनाओं से संबंधित उठापटक भी होगी।
मकर पृथ्वी तत्व की राशि हैं जिसके स्वामी शनि हैं। मंगल से शत्रुवत व्यवहार होने के कारण यह पृथ्वी पर भी असर डालेंगे। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, कोरोना का प्रभाव अप्रैल तक कम होना शुरू हो जाएगा और वर्ष मध्य के बाद ही समाप्त होने की संभावनाएं हैं।
यह हैं संक्रामक बीमारियों के जिम्मेनदार ग्रह
के जानकर श्री साकेत पञ्चांग निर्माता ज्योतिषाचार्य अक्षय शास्त्री ने बताया कीज्योतिष में राहु और केतु दोनों को संक्रमण (बैक्टीरिया, वायरस) इंफेक्शन से होने वाली सभी बीमारियों और छिपी हुई बीमारियों का ग्रह माना गया है। बृहस्पति जीव और जीवन का कारक ग्रह है जो हम सभी व्यक्तियों का प्रतिनिनधित्व करता है इसलिए जब भी बृहस्पति और राहु या बृहस्पति और केतु का योग होता है तब ऐसे समय में संक्रामक रोग और ऐसी बीमारिया फैलती हैं जिन्हें चिहि्नत करना अथवा समाधान कर पाना बहुत मुश्किल होता है पर इसमें भी खास बात ये है कि राहु के द्वारा होने वाली बीमारियों का समाधान आसानी से मिल जाता है, लेकिन केतु को एक गूढ़ और रहस्यवादी ग्रह माना गया है इसलिए जब भी बृहस्पति और केतु का योग होता है तो ऐसे में इस तरह के रहस्मयी संक्रामक रोग सामने आते हैं जिनका समाधान आसानी से नहीं मिल पाता और ऐसा ही हो रहा है इस समय कोरोना वायरस के केस में।
ऐसे चला कोरोना का तबाही का मंजर
मार्च 2019 से ही केतु धनु राशि में चल रहा है लेकिन चार नवम्बर 2019 को बृहस्पति का प्रवेश भी धनु राशि में हो गया था जिससे बृहस्पति और केतु का योग बन गया था जो के रहस्मयी संक्रामक रोगों को उत्पन्न करता है। चार नवम्बर को बृहस्पति और केतु का योग शुरू होने के बाद कोरोना वायरस का पहला केस चीन में नवम्बर के महीने में ही सामने आया था। यानि के नवम्बर में बृहस्पति-केतु का योग बनने के बाद ही कोरोना वायरस एक्टिव हुआ। इसके बाद एक और नकारात्मक ग्रहस्थिति बनी जो था 26 दिसंबर को होने वाला सूर्य-ग्रहण जिसने कोरोना वायरस को एक महामारी के रूप में बदल दिया। 26 दिसंबर को हुआ सूर्य ग्रहण समान्य नहीं था क्योंकि इस सूर्य ग्रहण के दिन छःग्रहों के (सूर्य, चन्द्रमा, शनि बुध बृहस्पति, केतु) एकसाथ होने से ष्ठग्रही योग बन रहा था जिससे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव बहुत तीव्र हो गया था। भारत में इसका प्रभाव सीएए और एनआरसी के विरोध-प्रदर्शनों में की गयी हिंसा के रूप में दिखा। साथ ही कोरोना वायरस के मामले भी बढ़ते गए। कुल मिलाकर नवम्बर में केतु-बृहस्पति का योग बनने पर कोरोना वायरस सामने आया और 26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण के बाद इसने एक बड़ी महामारी का रूप धारण कर लिया।
इससे पहले भी मचाई थी तबाही ऐसे ग्रह योग ने
सन 1918 में स्पैनिश फ्लू नाम से एक महामारी फैली थी जिसकी शुरुआत स्पेन से हुई थी। इस महामारी से दुनिया में करोड़ों लोग संक्रमित हुए थे। उस समय भी बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ था। सन 1991 में ऑस्ट्रेलिया में माइकल एंगल नाम का बड़ा कम्प्यूटर वायरस सामने आया था जिसने इंटरनेट और कम्यूटर फील्ड में वैश्वि1क स्त र पर बड़े नुकसान किये थे और उस समय भी गोचर में बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ। सन 2005 में एच-5 एन-1 नाम से एक बर्डफ्लू फैला था और उस समय में भी गोचर में बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ था। ऐसे में जब भी बृहस्पति-केतु का योग बनता है उस समय में बड़े संक्रामक रोग और महामारियां सामने आती हैं। 2005 में जब बृहस्पति-केतु योग के दौरान बर्डफ्लू सामने आया था तब बृहस्पति-केतु का योग पृथ्वी तत्व राशि में होने से यह एक सीमित एरिया में ही फैला था जबकि चार नवम्बर को बृहस्पति-केतु का योग अग्नि तत्व राशि (धनु) में बना है जिस कारण कोरोना वायरस आग की गति से पूरे विश्वभर में फैलता जा रहा है।
25 मार्च से मिलेगी महामारी से अल्प राहत
विशिष्ट संहिता के अनुसार इस महामारी का प्रभाव 3 से 7 महीने तक रहेगा परंतु नव संवत्सर के प्रारम्भ से इसका प्रभाव कम होना शुरू हो जाएगा अर्थात भारतीय नव संवत्सर जिसका नाम प्रमादी संवत्सर है जो कि 25 मार्च से प्रारंभ हो रहा है इसी दिन से करोना का प्रभाव कम होना प्रारम्भ हो जाएगा। हमारे धर्मशास्त्रों में सृष्टि के प्रारम्भ से लेकर अंत तक की प्रत्येक भविष्यवाणी की गई है परन्तु हम भारतीय आज भी पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण कर रहे है आओ पुनः लौटे अपनी संस्कृति की ओर हमारी संस्कृति में पूर्व से ही सब कुछ रच बसा हुआ है।
29 मार्च के बाद से मिलेगी कोरोना वायरस से राहत
नवम्बर में शुरू हुए बृहस्पति-केतु के योग और दिसंबर में हुए सूर्य ग्रहण के कारण पिछले चार महीनो से कोरोना वायरस तेजी फ़ैल रहा है और वैज्ञानिकों और चिकित्स कों को भी इसका कोई ठोस समाधान नजर नहीं आ रहा है। ज्योतिष के जनारिये से देखें तो आने वाले 29 मार्च को बृहस्पति मकर राशि में प्रवेश होगा जिससे पिछले चार महीनो से चल रहा बृहस्पति-केतु का योग खत्म हो जाएगा। ऐसे में 29 मार्च के बाद से कोरोना वायरस के अटैक से राहत मिलना शुरू हो जाएगी और इसके संक्रमण का प्रभाव कम होना शुरू हो जाएगा। 14 अप्रैल को सूर्य का मेष राशि में प्रवेश होगा जिसके बाद वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस का कोई ना कोई एंटीडोट मिलेगा। इस स्थि4ति में कुल मिलाकर 29 मार्च के बाद एक से डेढ़ महीने के अंदर इस महामारी का प्रभाव भी कम होने की उम्मीगद है।