स्कूल की सबसे कीमती सम्पत्ति होते हैं विद्यार्थी- हेमन्त सैनी

स्कूल की सबसे कीमती सम्पत्ति होते हैं विद्यार्थी

जयपुर :- महात्मा ज्योतिबा सी. सै. विद्यालय दुर्गा विहार रामपुरा रोड सांगानेर जयपुर में कक्षा 12वीं को कक्षा 11वीं द्वारा विदाई समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें प्रमुख अतिथि विद्यालय के मुख्य निदेशक श्री दुर्गा लाल जी सैनी , हेमंत सैनी निदेशक महात्मा ज्योतिबा सी. सै. विद्यालय, प्राचार्य ललित शर्मा , प्रबंधक दीनदयाल शर्मा आदि मौजूद थे। सभी ने छात्रों के उज्जवल भविष्य की कामना की
समय के साथ अध्यापकों ने भी विद्यार्थियों के साथ में बहुत कुछ सीखा
यह बहुत विशेष दिन है, जब हम 12वीं कक्षा के, वर्ष 2019-2020 के, बच्चों के लिए विदाई समारोह का आयोजन कर रहे हैं। हमें आप सभी को उज्जवल भविष्य के लिए तैयार करने और आकार देने में कई साल का लम्बा समय लगा। समय के साथ अध्यापकों ने भी विद्यार्थियों के साथ में बहुत कुछ सीखा। इसलिए मैंने भी यही किया, मैंने आप में अपना बचपन बढ़ते हुए देखा है। आगे बढऩे और छात्रों को आकार देने के लिए, छात्रों और अध्यापकों को साथ में मिलकर प्रयास करने पड़ते हैं और अच्छे परिणामों के लिए साथ मिलकर एक ताकत के रूप में कार्य करना पड़ता है।

उक्ताशय की बात विद्यालय के प्रबंधक दीनदयाल शर्मा ने विदाई समारोह में छात्रों से कही। उन्होंने आगे कहा कि विद्यार्थी, अध्यापकों के कार्यों का विषय, अध्यापकों के विचारों का लक्ष्य और अध्यापकों के प्रयासों का प्रतिबिम्ब होते हैं। बच्चों अपने दिमाग में यही रखना कि, आप अपने सभी कार्यों में सही हो और यह भी मत भूलना कि, सच की हमेशा जीत होती है। किसी भी बुरी स्थिति में कभी भी आत्मसमर्पण मत करना और खुद में विश्वास रखना।
शिक्षक प्रेमकुमार ने स्वामी विवेकानंदजी के द्वारा कहे गए शब्दों को रखते हुए बच्चों से कहा कि एक विचार लो और उस विचार को अपने जीवन का सार बना लो- उसी को सोचो और उसी के स्वप्न देखो। उस विचार से अपने मस्तिष्क, पेशियों, कोशिकाओं, शरीर के हरेक भाग को उससे भरने दो और दूसरे अन्य विचारों को अकेला छोड़ दो। यही सफलता का रास्ता है।

इस मौके पर स्कूल के निदेशक श्री हेमन्त सैनी ने कहा कि विद्यार्थी किसी भी स्कूल की सबसे कीमती सम्पत्ति होते हैं, उनके बिना शिक्षक और विद्यालय कुछ भी नही है। एक अच्छा विद्यार्थी, एक अच्छे शिक्षक की अनुपस्थिति में कुछ नहीं कर सकता और जब किसी शिक्षक को अच्छा छात्र नहीं मिलता तो वह उसे अपना दुर्भाग्य समझता है। यह शिक्षक की जिम्मेदारी होती है कि, वह अपने छात्र को सही रास्ते पर लाए हालांकि, यह छात्र की भी जिम्मेदारी है कि वह अपने शिक्षक की बताई हुई बातों का पालन करें।
छात्राओं से नहीं करवाएं चरण स्पर्श
निदेशक श्री हेमन्त सैनी ने कि बेटियां चरण स्पर्श न करें यह देवी स्वरूपा होती है। हमारी संस्कृति में बेटियों से चरण स्पर्श करवाना उचित नहीं मानना जाता है। अत: आशीर्वाद एवं अभिवादन समारोह में छात्राएं गुरुजन के चरण स्पर्श न करें।

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