ज्योतिष शास्त्र एक पूर्ण ज्ञान -आचार्य जगदीश

ज्योतिष शास्त्र पुर्णत: प्रमाणिक एवं सत्य ज्ञान है । हमारा पूरा जीवन ग्रहों नक्षत्रों एवं राशियों पर आधारित है । इनके योग से हिं जीवन में सुख दु:ख आते रहते हैं । बहुत से ऐसे मूर्ख व्यक्ति हैं जो हमारे ऋषि मुनियों के प्रमाणिक ज्ञान को नहीं मानते हैं एवं ज्योतिष के बारे में दुष्प्रचार करते हैं । इस दुनिया में बहुत से ढ़ोंगी गुरु एवं साधु भी हैं जिसे ज्योतिष का ज्ञान नहीं है वो कहते हैं ज्योतिष से कुछ नहीं होगा पर मेरा अनुभव है कि ज्योतिष हिं एक ऐसा ज्ञान है जिसके माध्यम से जीवन की समस्या के कारण को जानकर उपाय , साधना , दान एवं रत्नों के द्वारा अपने समस्या का समाधान कर सक्ते हैं ।

हमारे देश में जितने भी महान ऋषि हुए हैं उन्हें ज्योतिष एवं साधना दोनों का ज्ञान था । भारतीय ज्योतिष के विकास का इतिहास बहुत पुराना है । अत्यन्त प्राचीन समय में ब्रह्मा जी ने स्वयं ज्योतिष शास्त्र को प्रकट किया था तथा नारद मुनि को ज्योतिष का ज्ञान दिया , जिसका वर्णन नारद पुराण में है । नारद मुनि ने ये ज्ञान पाराशर ऋषि को दिया । उसके बाद पाराशर ऋषि ने मैत्रेय ऋषि को ये ज्ञान दिया । इसके बाद व्यास , वशिष्ठ , अत्रि , कश्यप , नारद , गर्ग , मरीचि , मनु , अंगिरा , लोमश , पौलिश , च्यवन , यवन , भृगु एवं शौनक आदि महर्षियों नें इस ज्ञान का विकास किया और आगे बढ़ाया । ईश्वर ने मनुष्य को ज्योतिष के रूप में एक वरदान हिं दिया है जिसके माध्यम से अपने दु:खों को दूर कर सक्ता है । पर शायद वो दुर्भाग्यशाली हिं होते हैं जो अपने अज्ञानता के कारण इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं । जिनके पास भी सही जन्म विवरण हो वो ज्योतिष के ज्ञान की प्रमाणिकता को परख सक्ते हैं ।

ज्योतिष के माध्यम से हम अपने जीवन मे होने वाली सभी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं । ज्योतिष के माध्यम से हम अपने भाग्य को पूर्णतः नहीं बादल सकते हैं परंतु ये बात भी सत्य है की हम ज्योतिष के ज्ञान , उपाय एवं साधना के द्वारा अपने जीवन में होने वाली परेशानी एवं दुखों को 80% तक दूर कर सकते हैं । ज्योतिष शास्त्र कहीं भी ऐसा नहीं कहता है की कर्म मत करो और भाग्य के भरोसे बैठे रहो ।ज्योतिष का मतलब ये नहीं है की आप बिना कर्म किए ही करोड़पति बन जाएंगे । जिनका भाग्य प्रबल रहता है उन्हे कम मेहनत में भी ज्यादा सफलता प्राप्त हो जाती है , परंतु कई लोग बहुत कठिन परिश्रम करते हैं फिर भी उन्नति नहीं होती है जिसका कारण है उनका भाग्य कमजोर होना । यदि किसी व्यक्ति का भाग्य कमजोर है तो इसका मतलब ये होता है की उसे परिश्रम का पूर्ण फल नहीं प्राप्त हो रहा है । यदि उसके भाग्य से संबन्धित ग्रह को प्रबल कर दिया जाए तो परिश्रम का पूर्ण फल प्राप्त होने लगेगा । यदि किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब है या कोई बीमारी है और ज्यादा समय तक इलाज करने पर भी ठीक नहीं हो रहा है तो इलाज के साथ ज्योतिष का उपाय भी किया जाए तो जल्द ठीक हो सकता है । यदि किसी व्यक्ति के जन्म पत्रिका का विश्लेषण बचपन में ही करा लिया जाए तो उसके जीवन में आनेवाली समस्याओं के बारे में जानकार , बचपन से हीं उपाय करके जीवन मे आनेवाली समस्याओं का समाधान किया जा सकता है । यदि किसी बालक का शारीरिक एवं मानसिक विकास ठीक से नहीं हो रहा हो तो बचपन में ही उसके जन्मपत्रिका का विश्लेषण कराकर उपाय किया जाए तो उसे ठीक किया जा सकता है । इसी प्रकार गृहस्थ जीवन से संबन्धित , संतान से संबन्धित , धन से संबन्धित इत्यादि सभी समस्याओं का समाधान ज्योतिष के माध्यम से किया जा सकता है।

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