वास्तु शास्त्र में दिशा और उनके देवता ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दस दिशाएं होती है। ये दिशाएं मनुष्य का जीवन और भविष्य तय करती है।अगर आपने इस दिशाओं के शुभ-अशुभ परिणामों को ध्यान में रखकर अपने भवन या ऑफिस का निर्माण किया है तो निश्चित ही आपको इन दिशाओं के शुभ फल प्राप्त होंगे। अन्यथा गलत दिशा में भवन या ऑफिस का निर्माण करने पर बड़ा खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। हमारे पौराणिक शास्त्रों के अनुसार इस प्रत्येक दिशा का एक तत्व और एक देवता नियुक्त किया गया है जिसे ‘दिग्पाल’ कहा गया है अर्थात् दिशाओं के पालनहार, दिशाओं की रक्षा करने वाले। इसीलिए जब आप अपना घर या ऑफिस इत्यादि बनवाते हैं तो इन 10 दिशाओं के अनुसार घर का पूजन और वास्तु को ध्यान रखकर घर बनवाते हैं और वास्तु में किसी भी प्रकार की कमी होती है तो उसका परिणाम उस घर में रहने वाले व्यक्ति को भोगनी पड़ती है।

*आइए जानें वे 10 दिशाएं कौन सी है और उसके स्वामी ग्रह कौन हैं?*

* पूर्व का स्वामी इंद्र

* पश्चिम का स्वामी वरुण

* उत्तर का स्वामी कुबेर

* दक्षिण का स्वामी यमराज

* ईशान का स्वामी शिव

* नैऋत्य का स्वामी नैऋत्य

* वायव्य का स्वामी वायुदेव

* आग्नेय का स्वामी अग्निदेव

* आकाश का स्वामी ब्रह्मा

* पाताल का स्वामी शेषनाग

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